~♥ कल्प ♥~ की कल्पनाओं की उड़ान...
...जमीं से आसमां तक ... कभी इस जिस्म से रूह तक ...मचलती हुई ...
...वक़्त की हर दहलीज पर ... कभी उस चौखट पर ... जहाँ मेरी खुशियाँ रहती हैं...
Monday, 27 January 2014
♥ नज़रें झुका के ♥
नज़रें झुका के बैठे न रहो ,
राज़-ए-दिल यूँ छुपाये न रहो ,
दम निकलने को है मेरा , अब कुछ बोल भी दो ,
यूँ ज़ुबां तले इज़हार-ए-मोहब्बत दबाये न रहो !!
बहुत खूब .. दम निकलने से पहले इज़हार हो जाए तो अच्छा है ...
ReplyDeleteshukriya shukriya...sahi kaha aapne...
DeleteVERY NICE PRESENTATION OF FEELINGS.
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